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सीबीआई की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला

बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में बृहस्पतिवार को आठ आरोपियों को सजा सुनाई गई। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश राहुल प्रकाश ने श्रवण साहू की हत्य...

बहुचर्चित श्रवण साहू हत्याकांड में बृहस्पतिवार को आठ आरोपियों को सजा सुनाई गई। सीबीआई के विशेष न्यायाधीश राहुल प्रकाश ने श्रवण साहू की हत्या करने, साक्ष्य मिटाने और हत्या की साजिश रचने के आरोपी सत्यम पटेल, अमन सिंह, अकील अंसारी, विवेक शर्मा, बाबू खान, बबलू उर्फ फैसल, अजय पटेल और रोहित मिश्रा को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास और जुर्माने से दंडित किया है। कोर्ट ने सत्यम, अमन पर दो लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। वहीं, अकील, विवेक, बाबू, फैसल, अजय और रोहित पर एक लाख 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने शूटर सत्यम पटेल और अमन सिंह को हत्या, हत्या की साजिश, साक्ष्य मिटाने और साक्ष्य मिटाने की साजिश रचने में सजा सुनाई है। वहीं, अकील अंसारी, विवेक शर्मा, बाबू खान, फैसल, अजय पटेल और रोहित मिश्रा को हत्या की साजिश और साक्ष्य मिटाने की साजिश रचने में सजा सुनाई गई है। अदालत में सीबीआई की ओर से कहा गया कि श्रवण के दूसरे बेटे सुनीत ने सआदतगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इसके मुताबिक एक फरवरी 2017 को उनके पिता श्रवण साहू बड़ा चौराहा दाल मंडी स्थित अपनी तेल की दुकान पर बैठे थे। इसी दौरान रात 08:30 बजे के करीब बाइक सवार दो अज्ञात लड़के आए और उनके पिता श्रवण साहू की गोली मारकर हत्या कर दी। रिपोर्ट में कहा गया कि आरोपी अकील अंसारी ने अपने साथियों के साथ मिलकर वर्ष 2013 में सुनीत के भाई आयुष साहू की बियर की दुकान पर हत्या कर दी थी। इस मामले की पैरवी श्रवण कर रहे थे और वह इस हत्याकांड के गवाह भी थे। पैरवी से रोकने के लिए श्रवण साहू की हत्या की गई थी। 17 अक्तूबर 2013 : बीयर खरीदने के विवाद में श्रवण के बेटे आयुष की हुई थी हत्या कैंपवेल रोड पर 17 अक्तूबर 2013 को बीयर खरीदने के विवाद में अकील अंसारी ने श्रवण के बेटे आयुष की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बीयर की दुकान पर अकील और उसके साथी बाबू से बीयर खरीदने को लेकर आयुष की कहासुनी हुई थी। इस पर अकील ने फायरिंग की तो आयुष और उसके दोस्त दिवाकर व आकाश घायल हो गए थे। ट्राॅमा सेंटर में आयुष की मौत हो गई थी। श्रवण साहू ने एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस की जांच में सामने आया कि अकील ने आयुष को गोली मारने के बाद उसके पैसे और मोबाइल फोन लूट लिया था। पुलिस ने आरोपियों के पास से हत्या में प्रयुक्त हथियार, लूटे गए रुपये और मोबाइल बरामद किए थे। विवेचना के बाद दोनों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। सत्र न्यायालय ने एक फरवरी 2016 को आरोपियों के ऊपर आरोप तय करते हुए गवाही शुरू की थी। 28 फरवरी 2020 को मामले में तत्कालीन एडीजे आनंद प्रकाश ने अकील को आजीवन कारावास और एक लाख छह हजार पांच सौ रुपये के जुर्माने से दंडित किया था। मामले के अन्य आरोपी अजीम उर्फ बाबू को एक साल की कैद और पांच हजार के जुर्माने की सजा सुनाई थी।
तीन अप्रैल 2017 : सीबीआई ने दर्ज की श्रवण हत्याकांड की रिपोर्ट एक फरवरी 2017 को हुए श्रवण हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने 20 फरवरी 2017 को सीबीआई जांच की सिफारिश की। केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2017 को मामले की विवेचना सीबीआई को सौंप दी। सीबीआई ने तीन अप्रैल 2017 को अकील अंसारी व दो अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू की। सीबीआई के डिप्टी एसपी विशंभर दीक्षित को विवेचना सौंपी गई। इसके बाद साजिश की परतें खुलती गईं। इस मामले में सीबीआई ने दो चार्जशीट दायर की थी। पहली चार्जशीट में कुल छह आरोपी जबकि दूसरी चार्जशीट में दो आरोपी बनाए थे। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अभियोजन की ओर से कुल 51 गवाह, सात दस्तावेजी साक्ष्य और कुल 101 दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। वहीं, आरोपियों ने अपने बचाव में कुल चार गवाह पेश किए। जानिए, आयुष और श्रवण साहू हत्याकांड में कब क्या हुआ 16 अक्तूबर 2013 - श्रवण साहू के छोटे बेटे आयुष की गोली मारकर हत्या। फरवरी 2016 - अकील ने मुन्ना बजरंगी के शूटरों को श्रवण व उनके बड़े बेटे को मारने की सुपारी दी। शूटरों को एसटीएफ ने दबोचा। अक्तूबर 2016 - अकील जमानत पर छूटा। 10 जनवरी 2017 - पारा थाना और क्राइम ब्रांच की तत्कालीन पुलिस ने अकील के इशारे पर श्रवण साहू को फंसाने के लिए चार निर्दोष युवकों कामरान, अफजल, तमीम व अनवर को गिरफ्तार किया। 10 जनवरी 2017 - अकील ने श्रवण साहू पर उसकी हत्या कराने के लिए 20 लाख रुपये की सुपारी देने का आरोप लगाया। 12 जनवरी 2017 - तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी से मिलकर अकील ने श्रवण के खिलाफ तहरीर दी, ठाकुरगंज थाने में एफआईआर दर्ज। 14 जनवरी 2017 - एसएसपी से मुलाकात कर श्रवण ने पूरी बात बताई। केस में फाइनल रिपोर्ट लगाई गई। 15 जनवरी 2017 - तत्कालीन डीआईजी ने मामले की जांच के आदेश दिए, एएसपी पूर्वी ने जांच शुरू की। 19 जनवरी 2017 - एएसपी की रिपोर्ट पर निर्दोष युवकों को जेल भेजने वाले 14 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज। 19 जनवरी 2017- तीन पुलिसकर्मी बर्खास्त। अन्य को निलंबित और लाइनहाजिर किया गया। 27 जनवरी 2017 - एक अन्य मामले में अकील ने कोर्ट में सरेंडर किया। एक फरवरी 2017 - जेल से अकील ने अपने शूटरों को भेजकर श्रवण की हत्या करवा दी। तीन फरवरी 2017 - श्रवण के परिवार वालों ने सीबीआई जांच की मांग की। 10 फरवरी 2017 - श्रवण हत्याकांड के शूटर अमन और सत्यम मददगार अजय के साथ गिरफ्तार। 20 फरवरी 2017 - सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की। 28 फरवरी 2019 - आयुष हत्याकांड में अकील को उम्रकैद की सजा। पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ ने ली थी श्रवण की जान श्रवण साहू की जान पुलिस और अपराधियों के गठजोड़ ने ली थी। श्रवण काे पुलिस की सुरक्षा तो मिली थी, लेकिन घटना के समय पुलिसकर्मी थोड़ी दूरी पर थे। खास बात ये है कि श्रवण के बेटे आयुष की हत्या में जेल में बंद अकील जमानत पर छूटने के बाद से साजिश रचने लगा था। अकील के कहने पर 10 जनवरी 2017 को तत्कालीन पारा पुलिस और क्राइम ब्रांच ने साजिश के तहत चार युवकों को गिरफ्तार किया। इसके बाद 12 जनवरी को अकील ने श्रवण साहू के खिलाफ सुपारी देकर हत्या करवाने की एफआईआर दर्ज करवा दी। 14 जनवरी को पता चला कि साजिश के तहत श्रवण को फंसाने के लिए चार युवकों को पकड़ा गया था। इसके बाद फर्जी गुडवर्क करने वाले स्वॉट टीम के तत्कालीन प्रभारी दरोगा धीरेंद्र शुक्ला, पारा थाने के सिपाही धीरेंद्र यादव और अनिल यादव को बर्खास्त कर दिया गया था। इस बीच अकील एक अन्य मामले में जेल चला गया और एक फरवरी को शूटर भेजकर श्रवण की हत्या करवा दी थी। अकील के साथ साजिश में शामिल कुल 14 पुलिसकर्मियों पर एफआईआर भी दर्ज की गई थी। सीबीआई जांच में खुलती गईं साजिश की परतें पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बाद विवेचना शुरू की, लेकिन मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने 20 फरवरी 2017 को सीबीआई जांच की सिफारिश की। केंद्र सरकार ने 31 मार्च 2017 को मामले की विवेचना सीबीआई को सौंप दी थी। इसके बाद सीबीआई ने तीन अप्रैल 2017 को अकील अंसारी व दो अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू की। सीबीआई के डिप्टी एसपी विशंभर दीक्षित को विवेचना सौंपी गई। इसके बाद साजिश की परतें खुलती गईं। इस मामले में सीबीआई ने दो चार्जशीट दायर की थी। पहली चार्जशीट में कुल छह आरोपी जबकि दूसरी चार्जशीट में दो आरोपी बनाए थे। मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अभियोजन की ओर से कुल 51 गवाह, सात दस्तावेजी साक्ष्य और कुल 101 दस्तावेज कोर्ट में पेश किए। वहीं, आरोपियों ने अपने बचाव में कुल चार गवाह पेश किए थे। जानिए किस अपराध में किसको सजा कोर्ट ने शूटर सत्यम पटेल और अमन सिंह को हत्या, हत्या की साजिश, साक्ष्य मिटाने और साक्ष्य मिटाने की साजिश रचने में सजा सुनाई है। वहीं, अकील अंसारी, विवेक शर्मा, बाबू खान, फैसल, अजय पटेल और रोहित मिश्रा को हत्या की साजिश और साक्ष्य मिटाने की साजिश रचने में सजा सुनाई गई है। मुन्ना बजरंगी के गुर्गे रहे थे नाकाम, तब अकील ने अपने शूटरों से कराया था श्रवण का कत्ल कारोबारी श्रवण साहू की हत्या की साजिश बदमाश अकील अंसारी ने वर्ष 2016 में पहली बार रची थी। जेल में रहते हुए उसने मुन्ना बजरंगी के शूटरों को श्रवण की हत्या की सुपारी दी थी। ऐसा पहली बार हुआ था कि एसटीएफ ने वारदात से पहले ही शूटरों को ठाकुरगंज से गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद अकील ने जेल में रहते हुए वर्ष 2017 में अपने शूटरों से श्रवण की हत्या करवा दी थी। श्रवण साहू हत्याकांड में मुख्य दोषी अकील जेल से अपना नेटवर्क चल रहा था। इसकी पुष्टि तो काफी पहले ही हो चुकी थी, जब एसटीएफ ने कुछ शूटरों को गिरफ्तार किया था। पेशी पर आकर उसने श्रवण की हत्या की पूरी साजिश रची थी। अकील ने जेल में ही रहते हुए गैंग बना लिया था। जमीन पर कब्जे से लेकर रंगदारी मांगने में उसका गैंग सक्रिय था। जनवरी 2017 में अकील जमानत पर रिहा होकर आया। इसके बाद उसने श्रवण साहू को झूठे केस में फंसाने की साजिश पुलिस वालों के साथ मिलकर रची थी। अकील ने जनवरी 2017 में स्वाट टीम प्रभारी एसआई धीरेंद्र शुक्ला, सिपाही अनिल सिंह, धीरेंद्र यादव व अन्य के साथ मिलकर श्रवण को उसकी हत्या के लिए शूटर भेजने के झूठे मुकदमे में फंसाने की साजिश रची। इसके तहत अफजल, मो. अनवर, कामरान व तमीम अहमद नाम के युवकों को सीरियल किलर सलीम, रुस्तम और सोहराब का शूटर बताकर 10 जनवरी 2017 को जेल भेजा गया था। आरोपी पुलिस कर्मियों ने षडयंत्र के तहत इन बेगुनाह युवकों के पास से असलहों की बरामदगी दिखाई थी। बताया गया था कि श्रवण ने इन लोगों को अकील की हत्या के लिए 30 लाख की सुपारी दी थी। हालांकि अपराधी और पुलिस का यह गठजोड़ उजागर हो गया था। तत्कालीन एसएसपी मंजिल सैनी ने शूटर बताकर जेल भेजे गए युवकों के परिवार वालों की तहरीर मुकदमे दर्ज कराए थे। इसमें अकील अंसारी, दरोगा धीरेंद्र शुक्ला, सिपाही अनिल सिंह, धीरेंद्र यादव, लवकुश, बबलू व आरिफ सहित अन्य को आरोपी बनाया गया था। अकील ने पैसों के लिए साथी को भी मरवा दिया था ठाकुरगंज केकन्हई खेड़ा निवासी छोटू लोधी की मई 2019 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। छोटू की पत्नी रेनू ने अज्ञात बदमाशों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। छोटू ने कुछ दिन पहले ही जय माता दी नाम से टेंट हाउस खोला था। छोटू श्रवण साहू मर्डर केस के आरोपी अकील अंसारी का साथी था। उसके साथ कई आपराधिक मामलों में शामिल था और प्राॅपर्टी का भी कारोबार करता था। अकील के जेल जाने के बाद उसने कारोबार बढ़ा लिया था और अकील का पैसा भी प्रॉपर्टी में लगता था। इस बीच छोटू ने प्रॉपर्टी बेची थी और अकील को उसका हिस्सा नहीं दिया था। इसके चलते अकील ने अपने गैंग के गुर्गे रिजवान की मदद से छोटू की हत्या करवा दी थी।

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