पायलट बाबा का पहला आश्रम हरिद्वार में बनाया था। अखाड़े से उन्हें दीक्षा मिली तो महामंडलेश्वर की उपाधि हासिल कर ली। देश और विदेश तक में उन्हो...
पायलट बाबा का पहला आश्रम हरिद्वार में बनाया था। अखाड़े से उन्हें दीक्षा मिली तो महामंडलेश्वर की उपाधि हासिल कर ली। देश और विदेश तक में उन्होंने जितने श्रद्धालु जोड़े और उनके आश्रम भी बनते गए।
अकूत संपत्ति के मालिक पायलट बाबा ने 2021 में ही हरिद्वार आश्रम के पीछे एक विवादित भूमि में अपना समाधि स्थल भी तैयार कर गए थे। अनुयायी बताते हैं कि दूर दृष्टि वाले पायलट बाबा ने अपनी अंतिम इच्छा तो बता दी, लेकिन अपने उत्तराधिकार को लेकर उन्होंने कोई निर्णय किसी को नहीं बताया।

यही वजह है कि अब पायलट बाबा के गोलोक सिधारने के बाद संपत्ति का विवाद सामने आएगा। हालांकि श्री पंचदश नाम जूना अखाड़ा भी इसके लिए तैयार है। किसी भी अराजक तत्व का आश्रम में प्रवेश न हो सके इसके लिए निधन की सूचना के बाद ही आश्रम के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया गया। जो अंदर हैं वह अंदर रह रहे हैं बाहर से जाने वालों को प्रवेश नहीं दिया गया।पायलट बाबा के सबसे ज्यादा अनुयायी रूस, यूक्रेन, जापान में हैं। उन्होंने भारत मैदानी और गढ़वाल कुमाऊं में भी कई आश्रम बनाए हैं। महामंडलेश्वर पायलट बाबा के निधन के बाद संपत्ति विवाद का मामला तूल पकड़ेगा ऐसा माना जा रहा है। पायलट बाबा के शिष्य बताते हैं कि उन्होंने अपने जीवित रहते ही तीन वर्ष पूर्व समाधि स्थल चयन किया था। निधन की सूचना के बाद ही व्यवस्थापकों ने अंदर से मुख्य द्वार को बंद कर दिया।जिस अखाड़े के संत पायलट बाबा थे, उनकी ओर भी अब निगाहें हैं। कुछ लोगों का कहना है कि पायलट बाबा के मुख्य रूप से चार शिष्य थे, इनमें कोई एक जबरन स्वयं को उत्तराधिकारी घोषित करने का प्रयास भी कर चुका है।

देश में बिहार, नैनीताल, हरिद्वार, उत्तरकाशी, गंगोत्री आदि स्थानों पर पायलट बाबा के आश्रम हैं। पायलट बाबा के हरिद्वार स्थित आश्रम में काफी लागत से अंदर कार्य किया गया है। सबसे रोचक तथ्य है कि पायलट बाबा के आश्रम में करीबन एक करोड रुपये की लागत से केवल शौचालय बनाया गया है।पायलट बाबा की स्थिति यह रही कि वह कुंभ और विशेष पर स्नान पर अपने अलग साज-सज्जा के साथ शाही स्नान में शामिल हुआ करते थे। पायलट बाबा के हरिद्वार स्थित आश्रम में यूक्रेन रूस जर्मन आदि देशों के तमाम भक्त दिन-रात सेवा करने आते हैं। इस बीच करीब तीन वर्ष पूर्व जब उनकी सेहत बिगड़ी तो उन्होंने अपने श्रद्धालु भक्तों के साथ स्वयं ही आश्रम के पीछे अपनी समाधि के लिए गड्ढा खुदवाया।विधिवत समाधि बनाई और अपने भक्तों से भी उन्होंने कहा था कि उन्हें इसी स्थान पर समाधि दी जाए। उनके शिष्य स्वामी मुक्तानंद ने कहा कि करीब 11:30 बजे पायलट बाबा का पार्थिव शरीर हरिद्वार पहुंचेगा। उनकी इच्छा के अनुसार आश्रम के पीछे ही उनको समाधि दी जाएगी। रूस यूक्रेन जापान आदि देशों से भी श्रद्धालु भक्त इसमें शामिल होने के लिए पहुंच रहे हैं।
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