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600 गांव, 30 हजार नाविक जुड़े; फिर भी बंद कर दी योजना

महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा को बंद होने से गंगा बेसिन में शुरू होने वाला अर्थ गंगा का प्रोजेक्ट भी लटक गया है। केंद्र सरकार के महत्व...

महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा को बंद होने से गंगा बेसिन में शुरू होने वाला अर्थ गंगा का प्रोजेक्ट भी लटक गया है। केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अर्थ गंगा के जरिये गंगा बेसिन के किसानों, मल्लाहों और युवाओं को रोजगार से जोड़ने की योजना था। बीएचयू प्रशासन के अचानक फैसले से सात सौ प्रशिक्षित गंगा मित्र और उनसे जुड़े 30 हजार सहयोगियों का भविष्य अधर में लटक गया है।बीएचयू कैंपस में संचालित हो रहे महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा ने 2016 से 2020 तक चार साल में 700 गंगा मित्रों की टीम तैयार की थी। गंगा मित्रों के प्रशिक्षण पर विश्वविद्यालय ने एक करोड़ रुपये खर्च किए थे। प्रशिक्षित टीम गंगा बेसिन में 2021 से जल संरक्षण पर काम कर रही थी। उन्होंने 30 हजार लोगों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ रखा था। सात सौ गंगा मित्रों की टीम प्रयागराज से बलिया तक गंगा संरक्षण का कार्य कर रही थी। 90 लाख से प्रयागराज से बलिया के बीच 21 किलोमीटर के अंतराल पर गंगा जागरूकता शोध केंद्र स्थापित किए गए थे। गंगा मित्रों ने 650 से अधिक गंगा ग्राम एवं सौ गंगा वार्ड का चयन कर 15 हजार जल संरक्षण समिति और 15 हजार जल संरक्षक सदस्य बनाए हैं। केंद्र की ओर से नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा को गंगा बेसिन के लिए अर्थ गंगा का पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर भेजा गया था। इसके तहत गंगा नदी के दोनों ओर पांच किलोमीटर के क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण को बढ़ावा देने के साथ ही पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना भी शामिल था।
एनएमसीजी में लटका बीएचयू में गंगा शोध केंद्र का एक करोड़ बीएचयू के महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा को बंद करने के फैसले पर विश्वविद्यालय ने कोई खास वजह तो नहीं लिखी है, लेकिन इस बार केंद्र संचालन के लिए नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) से फंड न मिलने को भी वजह माना जा रहा है। एनएमसीजी में शोध केंद्र को मिलने वाला एक करोड़ का फंड भी लटक गया है। 24 अगस्त को सहायक कुलसचिव विकास डॉ. राजेश कुमार श्रीवास्तव की ओर से इसे बंद करने का आदेश जारी होने पर लोग हैरान हैं। पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान की प्रोफेसर कविता शाह को कोऑर्डिनेटर बनाया गया था। उनके सिद्धार्थनगर विश्वविद्यालय में कुलपति बनने के बाद से नये कोऑर्डिनेटर की मांग की गई थी। क्या बोले पूर्व चेयरमैन महामना मालवीय रिसर्च सेंटर फॉर गंगा के बंद होने की पूर्व में कोई जानकारी नहीं थी। विश्वविद्यालय का पत्र मिलने के बाद पता चला। केंद्र बंद होने से गंगा के लिए होने वाले शोध व कार्य बंद नहीं होंगे।

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